करीब 5 लाख का दूध बेच देती है शीतला माता स्वयं सहायता समूह की 5 महिलाएं

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आत्मनिर्भरता की और बढ़ते कदम

5 महिलाएं महिला सशक्तिकरण को अंजाम देते हुए दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। न सिर्फ इसके सहारे ये अपना जीवन यापन कर रही है बल्कि अपने परिवार के खर्चों में भी हाथ बंटा रही है।

हम बात कर रहे है सोलन के धर्मपुर की ग्राम पंचायत जाबली की। जहां स्वयं सहायता समूह शीतला माता की ये महिलाएं रोजाना 33 लीटर दूध को बेच कर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रही है।

जो महिलाएं कभी घर से बाहर नही निकलती थी व अपने जीवन यापन के लिए भी अपने परिवार पर पूरी तरह से निर्भर थी वहीं अब जब से ये स्वयं सहायता समूह से जुड़ी है तब से इनके जीवनशैली में भी बदलाव आया है। आय बढ़ाने के लिए कुछ नया कर गुजरने की इच्छा हमेशा अब इनमें बनी रहती है। अगर बात कि जाए इस समूह की तो वर्ष 2019 में 12 महिलाओं ने शीतला माता नाम से स्वयं सहायता समूह की आधारशिला रखी। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत 2500 रुपए इन्हें शुरुआती राशि व उसके बाद 15,000 परिक्रमा राशि दी गई। जिससे उन्होंने आपसी लेनदेन की शुरूआत की । तत्पश्चात बैंक से 3 लाख का ऋण लेकर अपनी आजीविका बढ़ाने के लिए प्रयास किया।  सोलन के धर्मपुर की ग्राम पंचायत जाबली के छोटे से गांव डिब की लीला देवी(प्रधान), आशा देवी, बिमला देवी, निशा व निर्मला अत्री ने दूध को ही अपनी आय का जरिया बनाया व हर रोज ये करीब 33 लीटर दूध घर से ही बेच देती है। जिसको वो 40 रुपए के हिसाब से लोगों को देती है व प्रतिमाह 1023 लीटर दूध को 40,920 रुपए में देकर अच्छा खासा मुनाफा कमा लेती है। अगर बात कि जाए पूरे साल की तो ये वर्ष में 12,276 लीटर दूध को 4 लाख 91 हजार 40 रुपए में बेचती है। 

अगर बात की जाए लागत कि तो करीब 32,000 प्रतिमाह का खर्चा आता है। यानी साल में 3,84,000 का खर्चा आता है। यानी साल में 1 लाख 7 हजार 40 रुपए का दूध बेचकर ये मुनाफा कमा लेती है। 

इन महिलाओं का कहना है कि ये मुनाफा अधिक भी कमा सकती है लेकिन ये दूध की क्वालिटी से कोई समझौता नही करती व न तो इससे मलाई निकालती है और न ही इससे पनीर बनाती है। लोगों को अच्छा दूध मिले यही ये चाहती है।

सही मायने में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हिमाचल सरकार के ये प्रयास हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जमीनी स्तर पर भी देखने को मिल रहे है।