प्रदेश के सभी सरकारी विभागों में आउटसोर्स पर लगातार होने वाली भर्तियां अब नहीं हो रही हैं। विभागों को सरकार की तरफ से आदेश हैं कि जब तक सरकार इस संबंध में कोई फैसला नहीं लेती है तब तक आगे भर्तियां नहीं होंगी, क्योंकि सरकार ने एक कैबिनेट सब कमिटी बना रखी है और इस कमिटी की सिफारिशें अभी तक सामने नहीं आई हैं।
जानकारी के अनुसार इस प्रक्रिया को पूरा करने तक भर्तियां रोकी गई हैं, जो विभाग ऐसी भर्तियों को अंजाम दे रहे थे उन्होंने फिलहाल प्रक्रिया को रोक रखा है। इससे क्रियाशील पदों पर काम चलाना मुश्किल हो रहा है। राज्य में 35 हजार के करीब आउटसोर्स कर्मचारी हैं, जिनको राहत देने का मामला सरकार के विचारार्थ है। 28 मार्च को मंडी में इन कर्मचारियों के साथ एक बैठक भी होने जा रही है, जिसमें कैबिनेट सब कमिटी इनसे चर्चा करेगी और इसके बाद इस कमिटी की सिफारिशें सरकार को जाएंगी।
ये कर्मचारी खुद के लिए स्थायी नीति की मांग कर रहे हैं और अभी सरकार इस संबंध में कोई भी फैसला नहीं ले सकी है। बजट में सरकार ने कुछ राहत इन कर्मचारियों को इनकी वेतन अदायगी का सिस्टम बनाकर और इसमें बढ़ोतरी करके दी है, मगर अभी भी मसला सुलझा नहीं है। चुनावी वर्ष में सरकार इन कर्मचारियों के लिए कुछ न कुछ राहत जरूर देगी, लेकिन वो क्या होगी यह अभी कहा नहीं जा सकता है।
यहां आउटसोर्स पर नियुक्तियों के लिए कई कंपनियां सरकार के पास पंजीकृत हैं, जोकि अलग-अलग विभागों में काम कर रही हैं। इन कंपनियों को अभी नई नियुक्तियों के लिए कोई भी प्रस्ताव नहीं भेजे जा रहे हैं। विभाग अध्यक्षों का कहना है कि जब तक कैबिनेट सब कमिटी की सिफारिशें नहीं आ जातीं और सरकार कोई निर्णय नहीं लेती तब तक नई भर्तियां नहीं की जाएंगी।
कमिटी ने लिया है कर्मचारियों का ब्योरा
सभी विभागों, बोर्डों व निगमों से कैबिनेट सब कमिटी ने सभी आउटसोर्स कर्मचारियों का पूरा ब्योरा ले लिया है। उनसे पूरी जानकारी जुटाई गई है कि किस कंपनी के माध्यम से यह भर्ती की गई है और कितने कर्मचारी किस-किस वेतनमान पर रखे गए हैं। इतना ही नहीं उन कर्मचारियों की मानदेय अदायगी के दौरान कितना पैसा किस रूप में काटा जा रहा है और वेतन कब-कब दिया जाता है इसका भी संपूर्ण ब्योरा लिया गया है। इस ब्योरे को लेने के साथ नई भर्तियां यहां पर नहीं हो रही हैं, ऐसा भी कहा गया है। पहले सरकार पूरी तैयारी करेगी और सरकार के एलान के बाद ही यहां पर आउटसोर्स की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकेगा। तब तक विभाग, बोर्ड व निगम आगे कदम नहीं उठा रहे हैं।