मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने बुधवार को टेक चंद व अन्य तीन याचिकाकर्ताओं के उस आवेदन को स्वीकार किया, जिसके तहत मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक को प्रतिवादी बनाए जाने की गुहार लगाई गई थी। याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि दोनों को सरकार ने कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है, जबकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए संशोधन के मुताबिक मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती।
प्रदेश में पहले ही 12 मंत्रियों के चलते 15 फीसदी संख्या पूरी है। इस कारण याचिका में मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक के वेतन-भत्ते और अन्य सुविधाएं अधिनियम 2018 के तहत असांविधानिक घोषित करने की गुहार लगाई गई है। गौर हो कि सचेतक का पद मंत्री के पद के बराबर करने का प्रावधान रखा गया है। हालांकि उसे मंत्री नहीं कहा जाता, लेकिन उसे मंत्री के समान सुविधाएं मिलती हैं।
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