पहाड़ों की रानी से रूठी बर्फ, लगातार चौथे साल भी व्हाइट क्रिसमस के आसार नहीं

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पहाड़ों की रानी शिमला जो कभी दिसंबर आते ही बर्फ की सफेद चादर ओढ़ लेती थी, अब सर्दियों में भी सूनी नजर आने लगी है। इस साल भी दिसंबर में शिमला में बर्फबारी का इंतजार अधूरा ही रह गया है। लगातार चौथे साल ऐसा हो रहा है, जब क्रिसमस पर बर्फ गिरने के आसार हैं। मौसम के बदले मिजाज ने शिमला से सर्दियों की रौनक छीन ली है। साल 2022 से 2024 तक शिमला में दिसंबर के दौरान बर्फबारी नहीं हुई। आठ दिसंबर 2024 को शहर में हल्के फाहे ही गिरे थे। इससे पहले 2021 में भी शहर में नाममात्र के लिए बर्फबारी हुई थी। बीते तीन दशक के दौरान राजधानी शिमला में 37 फीसदी तक बर्फबारी घट गई है।साल 1990 से 2000 के बीच में शिमला में जहां औसतन 129.1 सेंटीमीटर बर्फ गिरी थी, वहीं साल 2010-2020 के दशक में यह 80.3 सेंटीमीटर रह गई। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार बीते तीन दशकों में राजधानी शिमला में बर्फबारी में करीब 37 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। पहले दिसंबर के दूसरे या तीसरे सप्ताह तक हल्की-फुल्की बर्फबारी आम बात मानी जाती थी, लेकिन अब जनवरी और फरवरी तक भी सूखा ठंडा मौसम ही देखने को मिल रहा है। इससे न केवल सैलानियों की उम्मीदों को झटका लगा है, बल्कि स्थानीय लोगों की दिनचर्या और आजीविका पर भी असर पड़ा है। एक दौर था, जब क्रिसमस और न्यू ईयर पर शिमला बर्फ से ढक जाता था। रिज मैदान, मॉल रोड और कुफरी में बर्फ के बीच सैलानियों की चहल-पहल रहती थी। होटल, टैक्सी और पर्यटन से जुड़े कारोबार चरम पर होते थे। लगातार चौथे साल दिसंबर सूखा गुजर रहा है।

बीते दस साल में दिसंबर के दौरान कम हुई बर्फबारी
पिछले 10 साल के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि शिमला शहर में 20 दिसंबर के बाद ही बर्फबारी होती है। वर्ष 2022, 2023, 2024 में कोई बर्फबारी दर्ज नहीं की गई। कुछ वर्ष ऐसे भी रहे हैं, जब 12 या 13 दिसंबर के आसपास बर्फबारी दर्ज की गई है। वर्ष 2021 में भी दिसंबर में हल्की बर्फबारी हुई थी। इससे पहले 2014 में तीन स्पेल बर्फबारी के दर्ज किए गए थे। मौसम वैज्ञानिक संदीप कुमार शर्मा का कहना है कि तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी और बारिश के पैटर्न में बदलाव बर्फबारी कम होने की बड़ी वजह है। शिमला में जहां पहले साल में औसतन अधिक स्नोफाल के दिन होते थे, अब उनकी संख्या लगातार घट रही है। कई चार चर्फबारी की परिस्थितियां बनती भी हैं, तो पश्चिमी विक्षोभ कमजोर पड़ जाने से सिर्फ बारिश होकर रह जाती है। वर्ष 1901 से 2025 के बीच हिमाचल के सतही तापमान में औसत 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है। तापमान बहना भी बर्फचारी न होने का कारण है।

कंक्रीट के जंगल बर्फबारी घटने का बड़ा कारण 
पश्चिमी विक्षोभ सर्दियों की वर्षा को प्रभावित करते हैं। पश्चिमी विक्षोभ अल नीनो वर्ष पर निर्भर करते हैं। जलवायु परिवर्तन का असर साल दर साल बड़ता जा रहा है। इस वर्ष हिमपात के लिए आवश्यक तापमान नहीं बन रहा। यह भी वायुमंडलीय परिसंचरण में गड़बड़ी के कारण है। शिमला में तेजी से बढ़ते कंक्रीट के जंगल बर्फवारी घटने का बड़ा कारण हैं। -डॉ. पवन अत्री, एचपीयू में पर्यावरण विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर

क्या कहता है माैसम पूर्वानुमान
माैसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार पूरे प्रदेश में 27 दिसंबर तक माैसम साफ रहने के आसार हैं। हालांकि, 28 व 29 दिसंबर को उच्च पर्वतीय कुछ स्थानों पर हल्की बारिश-बर्फबारी हो सकती है। वहीं मैदानी व कम ऊंचाई वाले कुछ क्षेत्रों में 23 से 27 दिसंबर तक देर रात, तड़के सुबह, सुबह के घंटों के दौरान घना कोहरा छाए रहने का येलो अलर्ट जारी किया गया है।