FCA एक्ट में संशोधन की हिमाचल से मांग तेज, सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

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हिमाचल प्रदेश में हाल ही में आई भीषण मानसूनी आपदा ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। राज्य सरकार ने अब केंद्र से Forest Conservation Act (FCA) 1980 में संशोधन की मांग की है, ताकि आपदा के कारण घर और जमीन गंवा चुके लोगों को रहने और खेती के लिए वन भूमि पर जमीन दी जा सके। इसके लिए हिमाचल सरकार सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएगी।

  राज्य के बागवानी एवं राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने शिमला में बताया कि 2023 में भी प्राकृतिक आपदा के चलते प्रदेश को भारी नुकसान हुआ था और अब 2025 में मानसून ने फिर से तबाही मचाई है। अब तक प्रदेश में 62 लोगों की मौत मानसून संबंधी घटनाओं में और 42 लोगों की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है। सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं और राज्य को अब तक 1000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है।

    नेगी ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अभी तक हिमाचल को कोई विशेष आपदा राहत पैकेज नहीं मिला है, जबकि गुजरात जैसे राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा दो-दो लाख रुपये की राहत दी गई थी। हिमाचल सरकार ने 2023 में केंद्र को FCA एक्ट में छूट देने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में अब राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर भूमिहीन आपदा प्रभावितों को वन भूमि देने की अनुमति मांगेगी।

     मंत्री ने यह भी मांग की कि केंद्र सरकार को आपदा राहत मैनुअल में संशोधन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मकान गिरने की स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि महज डेढ़ लाख रुपये है, जो मौजूदा हालात में बेहद अपर्याप्त है। हिमाचल सरकार ने राज्यस्तरीय मैनुअल में पहले ही संशोधन कर राहत राशि बढ़ाई है और अब केंद्र से भी इसी तरह की उम्मीद की जा रही है।