कांलग गांव पर एक बार फिर मंडराया भूस्खलन का खतरा, दहशत के साए में 14 परिवार

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जनपद के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पराशर क्षेत्र की ग्राम पंचायत शेगली के कालंग गांव के वाशिदों का दिन का चैन और रात की नींदे एक बार फिर भूस्खलन ने उड़ा कर रख दी है। यहां के वाशिंदे पिछले कई सालों से बड़े भूभाग पर हुए भूस्खलन का दंश झेल रहे हैं।2025 की बरसात में एक बार फिर इन ग्रामीणों पर बड़े पैमाने पर भूस्खलन का खतरा मंडराना शुरू हो गया है। वर्ष 2013 से यहां ज़मीन खिसकने और दरारें पड़ने की घटनाएं लगातार सामने आ रही है, जिससे एक दशक से भी ज्यादा समय से ग्रामीण भय के माहौल में जी रहे हैं। अभी तक इन ग्रामीणों की 100 बीघा से अधिक जमीन और एक प्राइमरी स्कूल इस भूस्खलन की चपेट में आ चुका है।   वहीं साल 2024 से 3 मकान ढहने की कगार पर हैं, जिससे इनके मालिकों ने इन मकानों को खाली कर, कहीं और शरण लेनी पड़ी है। कांगल का यह गांव पराशर की पहाड़ियों के ठीक सामने बसा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कई सालों में बागी नाला में तबाही का एक कारण इस जमीन का लगातार खीसकना भी है। 2023 की बरसात में इसी पहाड़ी के भूस्खलन की चपेट में आने से ही बागी पुल टूटा है।

स्थानीय निवासी राज ठाकुर ने बताया कि इस बार ग्रामीणों के घरों के पीछे की ज़मीन तेजी से खिसक रही है और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं। जिससे इस बार पूरे गांव पर खतरा मंडरा रहा है और 14 परिवार खतरे की जद्द में आ गए हैं। साल 2014 में इस खतरे को भांपते हुए ग्रामीण जिलाधीश से भी मिले थे, जिसके बाद राजस्व विभाग के अधिकारियों की एक टीम गांव भी पहुंचे थी और उन्होंने यह रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भी सौंपी थी।

     उन्होंने आरोप लगाया कि एक साल तक जिला के अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने प्रशासन और प्रदेश सरकार से अपील की है कि कालंग गांव में हो रहे भूस्खलन को गंभीरता से लिया जाए और तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायज़ा लिया जाए। ताकि कालंग गांव को असुरक्षित घोषित कर यहां के वाशिंदो को फिर से सुरक्षित जगह बसाया जा सके।