सिरमौर के नाहन में आए रिक्टर स्केल के 6.5 के भूकंप के बाद अफरा-तफरी का माहौल बन गया। आपातकालीन सायरन के साथ ही एनडीआरएफ 14वीं बटालियन के जवानों के साथ डॉ. यशवंत सिंह परमार स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्र घटनास्थल की ओर भाग पड़े। असल में यह कोई भूकंप नहीं था बल्कि प्राकृतिक व मैन मेड आपदा में कितनी जल्दी कम से कम नुक्सान के साथ राहत पहुंचाई जाए इसको लेकर मॉक ड्रिल आयोजित की गई।
गौरतलब हो कि भारत सरकार के द्वारा आपदाओं के दौरान जान माल के नुक्सान में फौरी राहत मिल पाए इसको लेकर जागरूकता एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए गए हैं। बुधवार को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की 14वीं बटालियन के द्वारा डॉ. यशवंत सिंह परमार स्नातकोत्तर महाविद्यालय नाहन में मॉक ड्रिल और जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय आपदा मोचन बल हिमाचल प्रदेश सहायक कमांडेंट 14वीँ बटालियन के द्वारा की गई।
जागरूकता कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्रिंसिपल दिनेश कुमार भारद्वाज, इंस्पेक्टर एनडीआरएफ हिमाचल प्रदेश उज्जैन, सब इंस्पेक्टर आनंद सिंह, सब इंस्पेक्टर गोविंद सिंह, रेस्क्यूअर अमित यादव, नरेंद्र डी बी राव, जसविंदर सिंह, हरिओम कपिल, एम विनोद, सुखविंदर और सागर भी मौजूद रहे। आपदाओं में राहत को लेकर मॉक ड्रिल के साथ महाविद्यालय में रेस्क्यू में इस्तेमाल किए जाने वाले आधुनिक उपकरणों को भी प्रदर्शित किया गया।
छात्रों को इन उपकरणों का किन परिस्थितियों में और कैसे इस्तेमाल किया जाना है इसको लेकर जानकारी भी दी गई। इस दौरान असिस्टेंट कमांडेंट सागर सिंह पाल ने बताया कि भारत सरकार के निर्देशों पर एनडीआरएफ के द्वारा सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं तथा उनसे जुड़े लोगों स्कूलों-कॉलेज आदि संस्थानों में कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन जागरूकता कार्यक्रमों को चलाए जाने का मुख्य उद्देश्य किसी भी तरह की प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित आपदा में कम खतरे के साथ अधिक से अधिक सुरक्षित बचाओ संपन्न हो सके यह बताया जाता है।
तो वही इंस्पेक्टर अमर उज्जैन ने बताया कि जब भी कहीं कोई आपदा घटित होती है तो सबसे पहला बचाव स्थानीय लोगों के द्वारा होता है। जिनमें अलग-अलग संस्थाएं व संस्थान भी मौजूद रहते हैं। उन्होंने बताया कि यह सभी किसी भी बचाव अभियान में फर्स्ट एड की तरह कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की एनडीआरएफ 14वीं बटालियन इस उद्देश्य के साथ ट्रेनिंग देती है कि घटनास्थल पर कम से कम नुक्सान हो।
उन्होंने बताया कि यदि फर्स्ट एड टीम पहले से ही ट्रेंड होगी तो जल्द राहत के साथ आम जनजीवन जल्दी पटरी पर लौट पाएगा। आयोजित कार्यक्रम में भूकंप, बाढ़, आगजनी, लैंडस्लाइड, युद्ध आदि में कैसे और किन उपकरणों के साथ बचाव कार्य किया जा सकता है इस बाबत छात्रों को ट्रेनिंग भी दी गई। आयोजित कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्रोफेसर सहित छात्रों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।