हिमाचल प्रदेश की पवित्र धरा ने एक और वीर सपूत को देश की सेवा में खो दिया। राइफलमैन कुलभूषण मांटा, जिनकी बहादुरी और साहस की कहानी सुनते ही हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है, उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनकी मां दुर्मा देवी और धर्मपत्नी नीतू कुमारी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह में ग्रहण किया।राष्ट्रपति भवन में जब कुलभूषण मांटा की वीरता की गाथा बयां की जा रही थी, तो उनकी मां दुर्मा देवी की आंखों में गर्व और आंसू दोनों की छवि साफ नजर आ रही थी। उनके चेहरे की दृढ़ता ने हर एक को यह महसूस कराया कि कुलभूषण की वीरता उनकी रगों में बसी है। धर्मपत्नी नीतू कुमारी ने भी अपनी हिम्मत और संकल्प को बरकरार रखते हुए वीर बलिदानी की अर्धांगिनी होने का परिचय दिया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का ममतामयी रूप भी इस दौरान देखने को मिला। उन्होंने मां दुर्मा देवी और नीतू कुमारी को सांत्वना देते हुए कहा कि देश उनके इस बलिदान को सदैव याद रखेगा। कुलभूषण मांटा ने उस दिन अपने प्राणों की आहुति दी, जब वे एक आतंकवादी मुठभेड़ में बुरी तरह जख्मी हो गए थे। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद, उन्होंने अपनी बहादुरी से एक आतंकवादी को जिंदा पकड़ लिया और अपनी अंतिम सांस तक दुश्मनों को जवाब देते रहे, लेकिन उनके साहस और बलिदान की गाथा अमर हो गई।
कुलभूषण मांटा, जिला शिमला के कुपवी के गोठ गांव के निवासी थे। उनके इस बलिदान ने न केवल हिमाचल प्रदेश को, बल्कि पूरे देश को गर्वित किया है। वीर भूमि हिमाचल का हर एक बच्चा अब कुलभूषण मांटा की इस वीरता से प्रेरित होकर अपने देश की सेवा में तत्पर रहेगा। कुलभूषण मांटा का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा, और उनकी वीरता की गाथा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। देश के इस वीर सपूत को शत-शत नमन!