सोलन, 3 मार्च : सीटू मजदूर संघ की हिमाचल प्रदेश इकाई ने श्रम विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए झाड़माजरी में धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि श्रम विभाग के अधिकारियों की निजी कंपनी संचालकों के साथ मिलीभगत करके यूनियन पंजीकरण की फाइले कई कई साल तक लटका रखी है। यही नहीं कामगारों के मांग पत्र पर कार्रवाई न करके उल्टा कंपनी संचालकों का पक्ष हमेशा लिया जाता है जिसके बाद कंपनी संचालक मांग उठाने वाले कामगारों को नौकरी से हटा देते है या उसका स्थानांतरण कर देते है।
इसी बीच प्रदर्शनकारियों की श्रम अधिकारी के साथ तीखी नोकझोंक भी हुई। सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा के नेतृत्व में उपाध्यक्ष ओमदत्त शर्मा, जिला अध्यक्ष मोहित वर्मा, महासचिव एनडी रनोट समेत दर्जनों कामगारों ने श्रम कार्यालय में एकत्रित हुए तथा श्रम विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। विजेंद्र मेहरा ने कहा कि श्रम कार्यालय के अधिकारी यूनियन की पंजीकरण फाइलों को दबा रहे है। होना तो यह चाहिए की इन पर त्वरित कार्रवाई हो लेकिन उन्हें कंपनी संचालकों के साथ मिली भगत करते फाइलों को न तो समय पर मुख्यालय भेजते है न ही उसका समय पर वेरिफिकेशन करते है।
कामगारों की मांग पत्र पर कार्रवाई न करके कंपनी संचालकों से मिल जाते है। कंपनी संचालकों को कामगारों पर कार्रवाई करने के लिए उल्टा पूरा समय देते है। या फिर उन्हें कंपनी से निकाल दिया जाता है। बद्दी की बीटा कंपनी व जुपिटर कंपनी के कामगारों के साथ भी ऐसा हो रहा है। यूनियन की पंजीकरण की फाइल जमा कराने के बाद सात कामगारों को कंपनी संचालकों ने स्थानांतरण कर दिया। बाद में लेबर कोर्ट ने कामगारों के पक्ष में फैसला लिया लेकिन श्रम कार्यालय उसे लागू नहीं कर रहा है। ऐसा ही मामला बघेरी स्थित एक प्लांट में हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी पंजीकरण फाइलों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो 28 व 29 मार्च को विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा। उधर श्रम अधिकारी ने प्रदर्शनकारियों की ओर से लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है।