भारतीय जनता पार्टी के विधायक एंव मुख्य प्रवक्ता राकेश जमवाल ने प्रैस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोग 13 महीने की सुखविंदर सुक्खू सरकार से परेशान होकर सड़कों पर उतर आएं हैं, उन्होने कहा कि कांग्रेस सरकार हिमाचल प्रदेश की पहली ऐसी सरकार है जो एक वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के अंदर ही कर्मचारी सड़कों पर उतर आएं। चाहे वो शास्त्री अध्यापक हो, बिजली बोर्ड के कर्मचारी, एसएमसी अध्यापक व एचआरटीसी के कर्मचारी हो, हर तरफ आंदोलन हो रहे है।
झूठ की नींव पर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई। झूठे वायदे किए, झूठी गारंटीयां दी और आज 13 महीने का समय पूरा हो गया। कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों, युवाओं और किसानों से वायदे किए, परन्तु यह सरकार एक भी वायदा पूरा करने में नाकामयाब रही। चुनाव के दिनों में वर्तमान सरकार ने कहा था कि पुलिस के जवान जो 24 घंटे सेवाएं देते है उन्हें अतिरिक्त एक माह का वेतन दिया जाता था उसको देने की बात कही और साथ में डाइट मनी देने की बात कही थी। 25 जनवरी को प्रदेश के कर्मचारी और पेंशनर्स इंतजार कर रहे थे कि 25 जनवरी को मुख्यमंत्री घोषणा करेंगे। लेकिन 25 जनवरी व 26 जनवरी भी चला गया। प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों के हाथ कुछ नहीं लगा।
आज जब प्रदेश में आपदा की स्थिति में प्रदेश के मुख्यमंत्री का बयान यह था कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक जब आपके गांव में आये हैं तो आप उनसे पूछें के उस आपदा की घड़ी में आप कहाँ थे? राकेश जमवाल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के सभी नेता, विधायक और पार्टी के कार्यकर्ता सभी इस आपदा की घड़ी में जनता के बीच में थे। उन्होने कहा कि मैं स्वयं अपने विधानसभा क्षेत्र के हर उस एरिया में पहुंचा जहाँ नुकसान हुआ था। लोगों से मिलने का प्रयास किया। उनका दुख दर्द बांटा, उनकी मदद करने का प्रयास किया। लेकिन वर्तमान सरकार ने इस आपदा की घड़ी में भी भेदभाव किया है। आज बहुत से लोग हमे आए दिन मिल रहे हैं और कह रहे है की मेरा घर चला गया, मेरी गौशाला चली गयी, लेकिन मुझे पैसे नहीं मिले और लोगों का कहना है कि मेरे पड़ोस में जिस व्यक्ति का नुकसान नहीं हुआ उसको पैसे मिल गए। लेकिन मुख्यमंत्री सदन के अंदर कहते है की ऐसे आंकड़े दो और हम उनके खिलाफ़ कार्रवाई करेगें। इस प्रकार से हिमाचल प्रदेश में जो पिछले 13 महीनों से चल रहा है, सरकार ने आते ही पूर्व की भारतीय जनता पार्टी की जयराम ठाकुर की सरकार ने जो संस्थान लोगों की सेवा के लिए खोले थे उन संस्थानों को बंद कर दिया और कहा कि बिना बजट के प्रावधान के एक वित्तीय वर्ष के जो संस्थान और कार्यालय सरकार ने खोले थे, उन सब को बंद कर दिया।