दिवाली का त्योहार इस बार मिट्टी और गाय के गोबर से बने दीपकों की रोशनी से जगमग होगा। माना जाता है कि त्योहारों में मिट्टी के दीपक के साथ गोबर के दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। दिवाली पर गोबर से दीपक जलाने से पर्यावरण संरक्षण का मकसद भी पूरा होगा। बाजार में गोबर के दीपकों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है।रामपुर पंचायत में नौ स्वयं सहायता समूह को संगठित कर महाकाल ग्राम संगठन बनाया है।संगठन की महिलाएं दिवाली त्योहार के लिए मोमबत्ती और गोबर के दीपक बनाने में जुटी हैं। अलग-अलग रंगों की सुंदर आकार की मोमबत्तियां और गाय के गोबर और मिट्टी के मिश्रण से सजावटी दीपक महिलाओं को घर बैठे रोजगार का अवसर दे रहे हैं। लोग भी दिवाली के लिए मिट्टी और गाय के गोबर से बने दीपक और मोमबत्तियों को घर से खरीद रहे हैं। घर से ही अभी तक पांच हजार रुपये की बिक्री कर चुकी है।
इससे समूहों को काफी लाभ मिल रहा है। कुछ समय पहले ही समूह ने मैहतपुर में स्टॉल भी स्थापित किया था। अब दिवाली उत्सव पर एमसी पार्क ऊना में भी स्टॉल लगाया जाएगा। इसमें रंग-बिरंगी आकार की मोमबत्तियां और मिट्टी-गोबर से बने दीप बिक्री के लिए रखे जाएंगे। महाकाल ग्राम संगठन की प्रधान अनीता राणा ने कहा कि समूह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) से जुड़ा है।
एनआरएलएम के माध्यम से समूह को 2,500 रुपये स्टार्टअप फंड और 15,000 रुपये रिवॉल्विंग फंड के रूप में मिले हैं। प्रोत्साहन के लिए लोग दिवाली के पर्व को मिट्टी के दीयों और मोमबत्तियों की रोशनी से रोशन करें। उधर धन-धन बाबा साहिब सिंह स्वयं सहायता समूह की प्रधान मीनू और राधे-राधे स्वयं सहायता समूह की प्रधान वंदना कुमारी ने कहा कि इससे महिलाओं को रोजगार मिला है।