बगीचों में बीमारियों का हमला, लैंडस्लाइड और बाढ़ से बगीचे तबाह

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हिमाचल के सेब बागवानों के लिए साल 2023 के सात महीने बेहद बुरे गुजरे है। सर्दियों में जब बारिश-बर्फबारी की जरूरत थी, तब सूखे जैसे हालात बने और जब अप्रैल से अब तक धूप की जरूरत है, तो कुदरत कहर बनकर बरस रहा है। इससे सेब बगीचे फ्लैश फ्लड व लैंडस्लाइड से तबाह हो रहे है। रसी सही कहर अत्यधिक नमी के कारण बगीचों में लग रही बीमारियां पूरा कर रही है। प्रदेश में 16 मार्च के बाद से ही बारिश का दौर जारी है। इससे सेब का साइज नहीं बन पा रहा। अच्छा साइज नहीं बनने से उत्पादन में गिरावट होगी। प्रदेश में इस बार पहले ही बीते साल की तुलना में 40 से 45 फीसदी कम फसल है। आगामी दिनों में धूप नहीं खिली तो सेब उत्पादन डेढ़ करोड़ पेटी में सिमट सकता है।छोटे सेब के बागवानों को दाम भी बेहतर नहीं मिल पा रहे है।

अत्यधिक बारिश की वजह से सेब के बगीचे बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे है। बागवानों पर कुदरत की दोहरी मार पड़ रही है। प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में 30 से 40 प्रतिशत तक बगीचों में फंगल डिजीज के कारण लीव फॉल हो चुका है। इससे पौधों की हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है। चियोग के प्रोग्रेसिसव ग्रोबर सोहन ठाकुर ने बताया कि बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए बार बार स्प्रे करनी पड़ रही है। इससे इनपुट कॉस्ट बढ़ती जा रही है।

इस बार 25 मार्च से 25 जुलाई के बीच केवल सात दिन ऐसे गए, जब निरंतर सातों दिन धूप खिली हो। अन्य दिनों के दौरान या तो बारिश हुई या फिर मौसम खराब बना रहा। ​नतीजा यह हुआ कि धूप की कमी और अत्यधिक नमी के कारण सेब बगीचों को बीमारियां अपनी गिरफ्त में ले रही इस साल शुरू से ही बागवान कुदरत का कहर झेल रहे है। सर्दियों में ऐसा पहली बार हुआ जब प्रदेश में नाममात्र बर्फ गिरी हो, जबकि सेब के लिए बर्फ टॉनिक का काम करती है। शिमला शहर में इस बार मात्र सात सेंटीमीटर बर्फ गिरी है, जबकि प्रत्येक सीजन में यहां बार-बार दो से चार फीट तक बर्फ गिरती है। अन्य क्षेत्रों का हाल भी शिमला की तरह रहा। 15 मार्च तक बारिश-बर्फबारी नहीं हुई।

इसके बाद निचले व मध्यम ऊंचे क्षेत्रों में सेब की फ्लावरिंग का दौर शुरू हुआ तो बारिश और ओलावृष्टि भी शुरू हो गई। फ्लॉवरिंग पर मौसम का साफ होना जरूरी होता है। मगर, इस साल 15 मार्च और पूरे अप्रैल महीने में निरंतर बारिश होती रही। यही नहीं अप्रैल की बारिश ने कई दशकों के रिकॉर्ड तोड़ डाले। इसकी मार सीधे तौर पर बागवानों पर पड़ी। इससे सेब की फसल बीते साल की तुलना में आधी रह गई। इन दिनों भारी बारिश सेब के बगीचों को तहस-नहस कर रही है और सेब के दानों से लदे पौधे जड़ से ही उखड़ कर फ्लैश फ्लड की चपेट में आ रहे है। इससे बागवानों को करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। प्रगतिशील बागवान जीत चौहान ने बताया कि प्रदेश में शायद ही कोई बागवान ऐसा हो, जिसे कम से एक लाख रुपए का नुकसान हुआ है। स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथरिटी के अनुसार अब तक फलों को 144 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।

सेब बगीचों पर संकट: बिष्ट प्रोग्रेसिव ग्रोबर एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेंद्र बिष्ट ने बताया कि 25 मार्च से 25 जुलाई के बीच रोहड़ू में 787 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। मौसम खराब होने और धूप नहीं खिलने से अब सेब का साइज नहीं बन पा रहा है। बगीचे बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे है। इससे जहां 500 पेटी सेब होना है, वहां मुश्किल से 300 पेटी सेब हो पाएगा।