हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू आज शिमला जिले के सबसे अधिक आपदा प्रभावित क्षेत्र खड़ाहन के दौरे पर जा रहे हैं, जहां बीते दिनों भारी बारिश ने सब तहस-नहस किया। खड़ाहन पंचायत में जुलाई महीने में हुई बारिश के दौरान 16 घर जमींदोज हो गए, जबकि लगभग 50 घरों को नुकसान हुआ है। अकेले खड़ाहन बाजार में 8 मकान ध्वस्त हुए हैं। 20 से 22 मकानों में दरारें आ गई हैं। स्थानीय लोग तबाही के लिए लोक निर्माण विभाग को दोषी ठहरा रहे हैं, क्योंकि लोगों के घरों से पीछे सड़क का पानी सालों से इकट्ठा हो रहा था। इसकी निकासी के लिए ड्रेनेज और कलवट लगाने के लिए स्थानीय लोग 12-15 सालों से लोकल PWD से पत्राचार कर रहे हैं।
खड़ाहन पंचायत की प्रधान रमीला देवी ने बताया कि वह 2006 से PWD को बमनोली गांव से नीचे आ रहे पानी की निकासी लिए के ड्रेन और कलवट लगाने की मांग उठाती रही हैं, मगर विभाग ने इसे नजरअंदाज किया। उन्होंने बताया कि यह मामला आज मुख्यमंत्री के समक्ष उठाएंगी। विभाग की लापरवाही की वजह से उनकी पंचायत में तबाही हुई है। खड़ाहन पंचायत में जमीन धंसने से कई लोगों से उनका आशियाना हमेशा-हमेशा के लिए छिन गया है। ऐसे लोग अब टेम्परेरी शेड या दूसरों के घरों में रातें बिता रहे हैं। क्षेत्र में न केवल घर, बल्कि सड़क, रास्तों, दुकानों, गौशालाओं, सेब बगीचों, ग्रामीण की उपजाऊ जमीन को भी भारी बारिश से नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री सुक्खू के खड़ाहन दौरे से स्थानीय लोगों को कुछ आर्थिक मदद की आस बंद गई है। CM सुक्खू ने प्रदेश के अलग-अलग बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके जिनके घर टूटे हैं, उन्हें एक-एक लाख की आर्थिक सहायता का ऐलान किया है। कुछ लोगों को यह राशि वितरित कर दी गई है। ऐसे में खड़ाहन के लोगों को भी मुख्यमंत्री आज आर्थिक सहायता देने के निर्देश दे सकते हैं।
ठियोग-कुमारसैन के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने इस त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कई जगह पूरे के पूरे गांव और शहर ही उजड़ गए। खड़ाहन में भी ऐसी ही तबाही हुई है। इसलिए राष्ट्रीय आपदा घोषित करना जरूरी है। इसमें कोई राजनीतिक भेदभाव नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री सुक्खू कुछ देर बाद शिमला से चॉपर में रामपुर के बिथल जाएंगे। वह यहां दोपहर तक राहत एवं बचाव कार्य की समीक्षा और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश देंगे। शाम को वह वापस शिमला लौटेंगे।