हिमाचल प्रदेश में तेजी से बढ़ रही नशे की रफ्तार चिंता का विषय बनती चली जा रही है. हिमाचल प्रदेश पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते छह साल में एनडीपीएस (NDPS) के मामलों में दोगुनी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. नशाखोरी के मामले में हिमाचल प्रदेश दूसरे नंबर पर पहुंच गया है. इस मामले में पंजाब राज्य शीर्ष पर है. दोनों पड़ोसी राज्य हैं. ऐसे में दोनों ही राज्यों के माफियाओं के बीच नशे की खरीद-फरोख्त भी जोरों पर है.
पिछले कुछ सालों में युवाओं के बीच सिंथेटिक ड्रग (Synthetic Drug) का चलन बढ़ा है. युवा हेरोइन और चिट्टे की चपेट में आ रहे हैं. हिमाचल पुलिस के मुताबिक, प्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.24 फीसदी हिस्सा नशे की चपेट में है. सर्वे के मुताबिक, प्रदेश में करीब दो लाख युवा ड्रग एडिक्टेड हैं. हैरानी की बात है कि लड़कियां भी केमिकल नशा करने का शौक रखती हैं. प्रदेश में नशे को लेकर लगातार चिंताजनक स्थिति पैदा हो रही है.
हिमाचल पुलिस के मुताबिक साल 2017 में प्रदेश के अलग-अलग थानों में NDPS एक्ट के 1221 मामले दर्ज हुए. साल 2018 में 1722 साल 2019 में 1935 और साल 2020 में 2058 मामले किए गए. साल 2021 में 2223 मामले दर्ज हुए और साल 2022 में 2226 मामले सामने आए. साल 2020 में कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के बावजूद इन मामलों में कोई कमी दर्ज नहीं की गई.
नशे के इन मामलों में पुलिस ने साल 2017 से साल 2022 तक 10848 पुरूषों और 450 महिलाओं गिरफ्तार किया. बीते 6 सालों में 87 विदेशी नागरिक भी पकड़े गए. विदेशी नागरिकों में नाइजीरिया के 43, यूरोप के 14, रूस के 3, अमेरिका के 4, मिडल ईस्ट के 3, एशियन देशों के 2, अन्य अफ्रीकी देशों के 16 और एक ग्रीस का नागरिक गिरफ्तार हुए. प्रदेश की जेलों में कुल 2400 कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन मौजूदा वक्त में कैदियों की संख्या 3000 से ज्यादा हो चुकी है. इनमें से 40 फीसदी कैदी नशे के मामलों में पकड़े गए हैं.
हिमाचल प्रदेश से नशे को खत्म करने के लिए आयोजित किए गए प्रधाव कार्यक्रम (Wipe Out Drugs) में डीजीपी संजय कुंडू ने बताया कि एक सर्वेक्षेण में सामने आया है कि साल 2019 में देश में 7 करोड़ लोग ड्रग एडिक्टिड थे. जिस रफ्तार से नशे की प्रवत्ति बढ़ रही है, उससे यह अनुमान है कि साल 2029 तक ड्रग एडिक्ट्स की संख्या देश में 21 करोड़ को पार कर जाएगी. नशे को रोकने में पुलिस की भी नाकामी कई बार देखी गई है. डीजीपी ने कार्यक्रम में यह भी माना कि कई बार कुछ कमियां रह जाती हैं, लेकिन अब नशे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति से काम करने की जरूरत है
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