
बरसात के मौसम में 250 से ज्यादा खतरनाक पेड़ कभी भी शिमला शहरवासियों के घरों पर कहर बनकर टूट सकते हैं। भारी बारिश को देखते हुए शहरवासी इन्हें काटने के लिए आवेदन तो कर रहे हैं लेकिन जो कमेटी इन्हें काटने की मंजूरी देती है, वह 17 जून को भंग हो चुकी है। अब नगर निगम चुनाव होने के बाद ही नई कमेटी बन पाएगी। लोग खतरनाक पेड़ों को कटवाने के लिए वन विभाग और नगर निगम कार्यालय से लेकर एसडीएम दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। वन विभाग के पास आए दिन पेड़ कटान के लिए आधा दर्जन आवेदन पहुंच रहे हैं। शहर में खतरनाक पेड़ों को चिन्हित करने की जिम्मेदारी नगर निगम की ट्री कमेटी की है। पेड़ चिन्हित करने के बाद यह कमेटी सरकार की सब कमेटी से इस पर अंतिम मंजूरी लेती है।

महापौर की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में एक पार्षद सदस्य, वन विभाग के डीएफओ, नगर निगम और हॉर्टीकल्चर के अधिकारी शामिल होते हैं। महापौर और पार्षदों का कार्यकाल खत्म होने के कारण कमेटी 17 जून को भंग हो चुकी है। इसके बाद आए ज्यादातर आवेदन अब लंबित पड़ गए हैं। बरसात शुरू होते ही आवेदनों की संख्या भी बढ़ने लगी है। लेकिन कमेटी न होने से इन्हें काटने की मंजूरी नहीं मिल रही। विकासनगर से पूर्व पार्षद रचना भारद्वाज और कसुम्पटी से पूर्व पार्षद राकेश चौहान ने कहा कि उनके वार्ड में कई खतरनाक पेड़ मंडरा रहे हैं। मेयर से दौरा करवाने के बावजूद नहीं नहीं काटा गया। यदि इन्हें नहीं काटा गया तो भारी बारिश से यह ढह सकते हैं। मज्याठ पार्षद दिवाकर देव शर्मा ने कहा कि सदन में मामला उठाने के बावजूद उनके वार्ड में चार खतरनाक पेड़ नहीं काटे जा रहे। इससे घरों को खतरा है।

विकासात्मक कार्यों के आवेदन भी लंबित
शहर में विकासात्मक कार्यों के लिए कटने वाले पेड़ों को भी ट्री कमेटी ही मंजूरी देती है। शहर में कई जगह सड़कें चौड़ी करने के लिए पेड़ कटने हैं लेकिन मंजूरी न मिलने से यह काम लटक गए हैं। उधर वन विभाग का कहना है कि नई ट्री कमेटी बनने पर ही इन पर मंजूरी मिल सकेगी।
एसडीएम से ले सकते हैं मंजूरी : वन विभाग
वन विभाग का कहना है कि यदि किसी के घर के पास पेड़ गिरने वाला है तो वह एसडीएम के पास इसे कटवाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। कई लोग आवेदन कर भी रहे हैं। एसडीएम सेक्शन 133 के तहत इन्हें काटने की अनुमति देते हैं। डीएफओ शिमला शहरी अनिता भारद्वाज ने बताया कि एसडीएम की अनुमति के बाद कई लोगों को खतरनाक पेड़ काटने की मंजूरी दी जा रही है। शहरवासी परेशान न हो, जो पेड़ बेहद खतरनाक हो गए हैं, उन्हें विभाग या प्रशासन की जानकारी में ला सकते हैं। इनका तुरंत मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाएगा।

बरसात और बर्फबारी में तबाही मचाते हैं पेड़
बीते साल बरसात और इस बर्फबारी के सीजन में भी दर्जनों हरे पेड़ ढहने से शहर में सार्वजनिक तथा निजी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था। बीते साल बरसात में नाभा, टुटीकंडी, कैथू, विकासनगर क्षेत्र में निजी भवनों पर पेड़ ढह गए थे।


