लोकसभा की शिमला सीट पर इस बार कांग्रेस एक शिक्षक नेता पर भी दांव खेल सकती है। शिमला की एकमात्र आरक्षित संसदीय सीट को पिछले तीन चुनावों से कांग्रेस नहीं जीत पाई है। टिकट पर फैसला छह या सात अप्रैल को दिल्ली में होने वाली बैठक में होगा। इस सीट के लिए बनाए गए पैनल में पहले कसौली से कांग्रेस विधायक विनोद सुल्तानपुरी, अमित नंदा और पछाद से दयाल प्यारी का नाम है। विधायक को लोकसभा चुनाव लड़ाना विधानसभा की वर्तमान परिस्थितियों में संख्या बल के हिसाब से सही नहीं लग रहा है, जबकि महिला कोटे में प्रतिभा सिंह को पहले ही मंडी से लगभग फाइनल कर दिया है।कांगड़ा सीट पर भी आशा कुमारी का नाम तगड़े दावेदारों में लिया जा रहा है।
ऐसे में शिमला सीट के लिए डाक्टर अश्वनी कुमार का नाम पैनल में जोड़ा गया है। डा. अश्वनी कुमार ने लगातार दूसरी बार टिकट के लिए इस बार भी आवेदन किया था। कोटगढ़ के रहने वाले अश्वनी कुमार स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन के कई वर्ष अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्तमान में वह प्रमोट होकर प्रिंसीपल बन गए हैं और सीनियर सेकेंडरी स्कूल दुर्गापुर में तैनात हैं। यदि इन्हें टिकट मिलता है, तो तीन साल की बची हुई सर्विस को छोडक़र चुनाव मैदान में इन्हें उतरना होगा। डा. अश्वनी कुमार 1997 में हिमाचल प्रदेश स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन के महासचिव बन गए थे। उसके बाद 2001 में इसी संगठन के अध्यक्ष बने। 2018 तक वह संगठन में स्टेट प्रेजिडेंट रहे।
सुरेश कश्यप पर दूसरी बार दांव
वर्तमान लोकसभा चुनाव में शिमला ऐसी एकमात्र संसदीय सीट है, जहां राज्य सरकार में सबसे ज्यादा कैबिनेट मंत्री कांग्रेस के पास हैं। कांग्रेस के विधायक भी अब यहां अन्य सीटों के मुकाबले ज्यादा हैं। पिछले चुनाव का रिकार्ड देखें तो 2004 में कर्नल धनीराम शांडिल यहां से चुनाव जीते थे। उसके बाद 2009 में भाजपा के वीरेंद्र कश्यप सांसद बने। 2014 में भी वीरेंद्र कश्यप लगातार दूसरा चुनाव जीते और कांग्रेस प्रत्याशी मोहनलाल बरागटा को हराया। 2019 में भाजपा ने सुरेश कश्यप को प्रत्याशी बनाया और 66 फीसदी से भी ज्यादा वोट के साथ वह सांसद बने। इस बार सुरेश कश्यप को लगातार दूसरी बार प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने अभी अपना प्रत्याशी तय करना है।