शिमला- कोरोनाकाल में देवभूमि का आम आदमी कई मुश्किलों से गुजरा, लेकिन लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था विधानसभा में इस पीड़ा से सियासतदानों का सरोकार नहीं जुड़ा। अब तक हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र की पांच बैठकें हो चुकी हैं और जनता की आवाज समझे जाने वाले विपक्ष ने तीन बार सदन से वाकआऊट किया। कांग्रेस ने चार दिन प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के लिए धरातल तैयार करने में ही लगा दिए। विपक्ष के हमलों का मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अकेले ही तथ्यों के आधार पर कड़ा जवाब दिया।
कांग्रेस ने भाजपा सांसद स्व. रामस्वरूप शर्मा की मौत के मामले को उठाकर ऐसे पेश किया, जैसे उनकी मौत से वह सर्वाधिक चिंतित है।
इससे साफ है कि मंडी लोकसभा सीट के उपचुनाव में जनता को अपने साथ करना उनकी रणनीति का हिस्सा है। दूसरे दिन कांग्रेस को बेरोजगारों की चिंता हुई। तीसरे दिन मुख्य सचिव को बदलने पर कांग्रेस को एतराज था। तीनों मामलों में विपक्षी कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए सदन से वाकआउट किया।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांग्रेस के हर वार का कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सांसद की मौत के मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच जांच कर रही है। इसमें प्रदेश सरकार क्या भूमिका अदा कर सकती है। बेरोजगारी या फिर चोर दरवाजे से भर्तियां करने के मामले में लोग भूले नहीं है कि कांग्रेस सरकार में चिटों के आधार पर नौकरियां दी जाती थीं। मुख्य सचिव को बदलने पर कहा कि यह सरकार का विशेष अधिकार है।
सत्र के पहले दिन राजनीति ने सदन में नहीं झांका। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह राजनीति से उपर से हो गए और सबने उन्हें श्रद्धांजलि दी। विधानसभा में शोक प्रस्ताव के जरिये प्रदेश के छह बार मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र को सबने याद किया।
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