ग्रीष्म ऋतु के दृष्टिगत वन विभाग बिलासपुर ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। वन मण्डल अधिकारी बिलासपुर अवनि भूषण राय ने यह जानकारी आज यहां दी। अवनि भूषण राय ने कहा कि प्रतिवर्ष 15 अप्रैल से 30 जून तक आग का मौसम होता है। इस मौसम में बहुमूल्य वन सम्पदा को खतरा रहता है। इस दौरान उच्च तापमान, नमी की कमी और वनों में घास, पत्ती, सूखे वृक्ष आदि ज्वलनशील पदार्थों की बहुतायत के कारण आग लगने की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं। मानवीय त्रुटि के अतिरिक्त प्राकृतिक कारण जैसे आकाश की बिजली तथा पत्थरों का आपस में टकराना व शरारती तत्वों द्वारा जानबूझ कर लगाई गई आग वन सम्पदा को नुकसान पहुंचाती हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग द्वारा वनों को आग से बचाने के लिए तैयारियां की गई हैं। समय-समय पर होने वालीे ग्राम सभा की बैठक में सम्बन्धित वन रक्षक उपस्थित होते हैं तथा लोगों को वनों की आग से सुरक्षा बारे जागरूक करते हैं। वह इस कार्य में स्थानीय लोगों से वनों में आग न लगाने बारे सहयोग की अपील करते हैं। तकनीकी रूप से जंगलों के बीच फायर लाईनों की सफाई की जाती है जिससे आग एक जंगल से दूसरे जंगल तक न फैले। फरवरी मार्च में चीड़ के वनों में कन्ट्ोल बर्निग की जाती है ताकि ग्रीष्म ऋतु में चीड के जंगलों में आग पर काबू किया जा सके। उन्होंने कहा कि फायर सीजन के दौरान स्टाफ को हमेषा सर्तक रहने के लिए दिषा निर्देष जारी किए जाते हैं। आग की घटनाओं पर नजर रखते तथा स्टाफ को सूचित करने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में 15 अप्रैल से 30 जून तक फायर वाचर तैनात किऐ जाते हैं। वन मण्डल और रेंज स्तर पर वन अग्निरोधी त्वरित कार्यवाही दलों का गठन किया गया है। यह दल आग की घटना की सूचना मिलते ही तुरन्त मौका पर जाकर कार्यवाही करते हैं। वन अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में उपस्थित रहने के आदेश जारी किए गऐ है तथा 15 अप्रैल से 30 जून तक क्षेत्रीय कर्मियों का अवकाश पर ना जाने के निर्देश जारी किऐ गऐ हैं ताकि वनों में आग लगने पर त्वरित कार्यवाही अमल में लाई जा सके। उन्होंने कहा कि वन सम्पदा के संरक्षण के लिए जन सहयोग आवश्यक है। विभाग का एक वन रक्षक सारी वन वीट के जंगलों की आग तथा अवैध कटान को जन सहयोग के बिना नहीं रोक सकता। उन्होंने लोगों से अपील की कि यदि जगंल में आग दिखे तो वे स्थानीय वन कर्मचारी, पंचायत प्रतिनिधि एवं गांववासियों को इसके बारे में तुरन्त सूचित करें तथा बहुमूल्य वन संम्पदा की सुरक्षा में वनों को आग से बचाने में अपना योगदान दें। वनों में आग लगने पर यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि आग लगने पर उस पर तेजी से काबू पाया जाए ताकि बहुमूल्य वन संम्पदा को कम से कम क्षति पहुंचे। वनों के संवर्धन, सरंक्षण तथा आग बुझाने में वन कर्मियों के साथ-साथ जन साधारण का सहयोग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वनों को आग से बचाना एक बहुत ही पुण्य का काम है । अतः वनों को आग से बचाकर पुण्य के भागीदार बनें। वन हमारी राष्टृीय सम्पति है । आग से वनों की सुरक्षा प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। वनों में आग लगाने वाले पर पुलिस कार्यवाही तथा मुक्द्मा किया जा सकता है और उसे दो वर्ष की कैद तथा पांच हजार रूपये तक जुर्माना या दोनों भी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को वनांे के आसपास 100 मीटर की दूरी पर अपनी निजी भूमि में आग लगाने से पहले निकटस्थ वन कार्यलय को सूचित करना कानूनी अनिवार्य बनाया गया है ताकि वनों में आग फैलने की सम्भावनाओं को कम किया जा सके। वनों की सुरक्षा की एवज में बर्तनदारों को वनों में बन्दोवस्ती हक-हकूक प्राप्त हैं और यदि हम इन हकों को दीर्धकाल तक निरन्तर चाहते हैं तो हमें प्रदेश की समृद्व वन सम्पदा के संरक्षण और विकास में वन विभाग को अपना सक्रिय सहयोग देना चाहिए।