जिला में उस समय एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया, जब एक एंबुलेंस में मरीज को क्षेत्रीय अस्पताल ले जाते समय टायर फट गया। 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में यदि एंबुलेंस का टायर फट जाए तो आप सहजता से समझ सकते है कि एंबुलेंस की हालत कितनी खस्ता है। गौरतलब है कि सोमवार सुबह 108 एंबुलेंस मरीज को लेने बसाल गई थी, जब 5 किलोमीटर से भी कम सफर तय कर मरीज को लेकर चम्बाघाट पहुंची तो उसका टायर फट गया। गनीमत ये रही कि एंबुलेंस पलटी नहीं। मरीज एंबुलेंस में ही जिंदगी व मौत की जंग करीब 20 मिनट तक लड़ता रहा। जिसके 20 मिनट बाद दूसरी 108 एंबुलेंस में पीड़ित व्यक्ति को शिफ्ट कर अस्पताल पहुंचाया गया। आपको बता दें कि एंबुलेंस के टायर व इसकी कंडीशन पहले से ही खस्ता है।
इसका खुलासा बीते सप्ताह भी हुआ, जब डॉक्टरों की टीम ने 108 का निरीक्षण किया। तब भी कई खामियां इसमें पाई गई थी। वहीं, कंपनी प्रबंधन दावा करती है कि उनकी एंबुलेंस सही से कार्य कर रही है। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। ऐसा नहीं सरकार की तरफ से फंड नहीं आता, लेकिन कंपनी प्रबंधन द्वारा इन गाड़ियों की समय रहते मरम्मत सुनिश्चित नहीं की जाती। निश्चित तौर पर यदि समय रहते गाड़ियों की मरम्मत व टायर बदले जाए तो इस तरह के हादसे होने से रोके जा सकते है। बंद ऐसी कमरों में बैठे अधिकारी को चाहिए वह फील्ड में जाकर गाड़ियों की कंडीशन देखे व उस पर कार्य करें।