हिमाचल प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (HPPSC) पर मुख्यमंत्री के नाम लिखे गए एक गुमनाम पत्र में गड़बड़ियों के गंभीर आरोप लगाए गए है। इस पर HPPSC के चेयरमैन रामेश्वर सिंह ठाकुर ने स्पष्ट किया कि आयोग तथ्यों पर आधारित किसी भी आरोप की स्वयं या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच को तैयार है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप संवैधानिक संस्था की छवि को खराब करने की कोशिश है। आयोग निष्पक्षता से अपना काम कर रहा है। आयोग गलत आरोपों की निंदा करता है।
बता दें कि यह शिकायत पत्र गौरव चौहान, रणेश और दीप्ति नेगी नाम के 3 लोगों द्वारा लिखा गया है, लेकिन इन्होंने अपना पता शिकायत में नहीं दिया। इन्होंने आयोग के कर्मचारियों पर अपने बच्चों व रिश्तेदारों को पेपर लीक कराने के गंभीर आरोप लगाए है। इन आरोपों में कितनी सच्चाई है यह जांच से ही स्पष्ट हो पाएगा, क्योंकि हिमाचल प्रदेश स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HPSSC) पर भी कई बार गड़बड़ियों के आरोप लगते रहे है और आखिर में जब फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ तो आयोग को ही हमेशा के लिए भंग करना पड़ा।
हिमाचल का युवा भर्तियों में गड़बड़ी को लेकर आहत है। HPSSC के कारण आज विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट लटके हुए है। नई भर्तियां शुरू नहीं हो पा रही। जिनकी बीते सालों के दौरान भर्ती हुई है, वह भी संदेश के घेरे में है। इससे पहले भी 10-11 मार्च को दो अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री सुक्खू को एक शिकायत सौंपी थी, जिसमें 26 नवंबर 2022 को ली गई म्यूजिक विषय की लिखित परीक्षा में ऐसे अभ्यर्थी को पास कराने का आरोप लगाया था, जो पेपर में गैर हाजिर था। गैर हाजिर अभ्यर्थी के आगे और पीछे बैठे दो अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री से शिकायत की थी। तब आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया था। अब दोबारा आयोग पर गंभीर आरोप लग रहे है।