सराज के आपदा प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए घायल बिशन सिंह को अपने कंधों पर उठाकर और 30 किलोमीटर का पैदल सफर तय करके बगस्याड पहुंचाया, जहां से उसे निजी गाड़ी में मंडी लाया जा सका। अब बिशन का जोनल हॉस्पिटल मंडी में उपचार चल रहा है। बिशन सिंह थुनाग उपमंडल के निहरी गांव का रहने वाला है।
बिशन सिंह ने बताया कि 30 जून की रात को उसके परवैड स्थित घर के साथ बहती बाखली खड्ड में भयंकर बाढ़ आ गई। घर के साथ बहते नाले ने भी रौद्र रूप धारण कर दिया। परिवार के 6 लोग यहीं पर मौजूद थे, जबकि साथ लगते पॉलीहाउस में पश्चिम बंगाल का दंपति मजदूरी करने के लिए इनके पास रह रहा था। जैसे ही घर पानी से घिर गया तो ये सभी जान बचाने के लिए भागे। इतने में बिशन सिंह दलदल में फंस गया।
परिवार के लोगों ने मुश्किल से बिशन सिंह को बाहर निकाला। बिशन सिंह ने बताया कि खुले आसमान के नीचे बारिश के बीच रात गुजारने के बाद सुबह होने पर जब पानी का स्तर घटा तो फिर निहरी स्थित पुराने घर पर चले गए। पश्चिम बंगाल का जो दंपति इनके पास रह रहा था उसमें महिला बाढ़ के पानी में बह गई है जिसका अभी तक कोई पता नहीं चल सका है।
30 किलोमीटर तक पैदल चले गांव के लोग….
बिशन सिंह के बेटे पारस ने बताया कि 2 दिनों तक स्थानीय डॉक्टर द्वारा दर्द की दवाएं दी गई और आज जब मौसम साफ हुआ तो गांव के 30 से 35 लोगों ने उसके पिता को कुर्सी की पालकी बनाकर उन्हें कंधे पर उठाया और अस्पताल की तरफ निकल पड़े। सुबह घर से निकलकर 30 किलोमीटर तक लगातार पैदल चलने के बाद शाम के समय बगस्याड पहुंचे और वहां से निजी गाड़ी के माध्यम से जोनल हास्पिटल मंडी ले आए हैं। बिशन सिंह की टांग टूट गई है और अब जोनल हास्पिटल में उसका उपचार चल रहा है।
किससे मांगते मदद, घाटी में नहीं है कोई कनेक्टिविटी…
पारस ने बताया कि सराज घाटी में आपदा के बाद से न तो बिजली है और न ही संचार सुविधा। सड़कों की बात ही क्या पैदल चलने के लिए भी रास्ते नहीं बचे हैं। ऐसे में मदद के लिए किससे गुहार लगाते। सराज सारा खत्म हो गया है। इसलिए गांव वालों ने खुद ही कंधे पर उठाकर ले जाना उचित समझा क्योंकि पिताजी को उपचार की जरूरत थी।