लाहौल घाटी में इन दिनों गोची उत्सव की धूम है जिला लाहौल-स्पीति के मुख्यालय केलांग में स्थानीय देवता युल्ला के सम्मान व पुत्र रतन प्राप्ति पर हर साल जनवरी के अन्तिम सप्ताह व फरवरी के दूसरे सप्ताह में धूमधाम से मनाया जाता हे
लाहौल घाटी के विशेषकर लाहोल-स्पीति के मुख्यालय केलांग के आसपास के गॉव में मनायें जाने वाला विशेष उत्सव है हालांकि इन दिनों समूचा घाटी बर्फ की सफेद चादर से ढका है और ठंड के तासीर में कोई कमी नजर नही आ रही है लेकिन इसकी परवाह न करते हुयें घाटी के लोग अपने ईष्ट देवता की पूजा अर्चना व कृतघ्यता जाहिर करने के लिए पूरी उत्साह व श्रद्धा से गोची उत्सव को मनाया जा है इस दौरान गॉव के लोग पूरी रात नही सोते है तथा सुबह तक ईष्ट देवता की आराधना करते है कडाके की ठंड व देव नियमों की सख्त पालन करना पडता है सुबह गॉव के समस्त लोग व नाते रिश्तेदार जलूस की शक्ल में गॉव के निश्चित स्थान पर जा कर तीरअंदाजी की जाती हेँ इस दौरान मुख्य पुजारी व सहायक पुजारी को सख्त देव नियमों का पालन करना होता है तथा देवदार के पवित्र पत्ते डाले कर मेमने के खाल में एक निश्चित दूरी से तीर से वार करना होता है जितने तीर का वार मेमने के खाल पर पडता है तो अगले साल उतने ही घरों में पुत्र सन्तान पैदा होने का अनुमान लगाया जाता है इस उत्सव का आरम्भ व अन्त पूर्व निर्धारित देव नियमों के अनुरूप होता हैइस उत्सव के दौरान ग्रेक्स का भी गायन किया जाता है जिसे स्थानीय मान्यता के अनुसार देववाणी कहा जाता हैंँ जिस घर में गोची उत्सव का आयोजन हो रहा है तथा पूरे इलाके के सुख शान्ति व समृद्धि की कामना की जाती है हालांकि इन दिनों घाटी का तापमान माईनस 15 से 20 डिग्रीसेंटीग्रेंड तक पहुंच चुका है इसके बाबजूद यहॉ के लोग ठंड व बर्फवारी को इन्जाय करते है और तोहफे के तौर पर लेते है लेकिन इसके बाबजूद लोगों के चेहरे पर जरा भी शिकन नही है