परौर स्थित राधा स्वामी सत्संग भवन में दो लाख से अधिक संगत ने हाजिरी भरी। परौर में आयोजित सत्संग के अंतिम दिन डेरा प्रमुख बाबा गुरिंद्र सिंह ढिल्लो जी महाराज ने लाखों की संख्या में पहुंचे अनुयायियों को दर्शन देकर निहाल किया। इस दौरान गुरु जी महाराज के निजी पाठी ने सत्संग में लाखों की संख्या में उपस्थित संगत को अपने प्रवचनों से भाव विभोर किया। इस मौके पर संगत ने भजन-कीर्तन के उपरांत भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। सत्संग में गुरु महाराज ने प्रवचनों से संगतों को निहाल कर उपदेश दिया। और सभी को इनसानियत के रास्ते पर चलने की शिक्षा दी। इस दौरान उपदेश देते हुए उन्होंने कहा कि इनसान की इनसानियत और कर्म ही जिंदगी की सबसे बड़ी पूंजी है। जाति,धर्म, समुदाय कुछ नहीं, केवल कर्म ही जिंदगी भर काम आते हैं।
बाबा जी ने कहा कि परिवार कोई चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, संस्कार और कर्म सबसे जरूरी है। उन्होंने कहा कि सत्संग के जरिए ही कर्मों का बोझ हल्का करना है और प्रभु का सच्चा द्वार कोई मंदिर नहीं सिर्फ हमारा शरीर है तथा शब्द के जरिए ही हम हमारे भीतर छिपे अंधकार को मिटाकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस धरती पर मनुष्य रूप में आने को 84 लाख जीव तरसते हैं, लेकिन मालिक उसको मनुष्य जीवन देता है, जिसके कर्म अच्छे रहे हो।
मैं और मेरी छोडक़र आगे बढ़ें
मालिक की पहचान तभी होगी जब नाम एवं नामी एक हो जाएंगे। मैं और मेरी को छोडक़र जीवन में आगे बढ़ें। मालिक ने जो दिया उसमें संतुष्ट होना सीखें। नाम सत जग झूठ है। नाम एवं शब्द वह ताकत एवं शक्ति है, जिसने सृष्टि को बनाया है। नाम न लिया जाता है न दिया जाता है। नाम मनुष्य के अंदर विराजमान है। गुरु केवल रास्ता दिखाते हैं, साधन समझाते हैं। गुरु द्वारा समझाया जाता है कि कमाई कैसे करनी है, ताकि नाम की शक्ति अंदर से जागृत हो सके।
गुरु महाराज की झलक पाने को लाखों की संख्या में पहुंची संगत
परौर में समागम से दो दिन पहले ही पहुंचना शुरू हो गए थे अनुयायी
राधा स्वामी सत्संग व्यास परौर में दो दिन तक चले समागम का रविवार को विशाल सत्संग के साथ समापन हुआ । इस दौरान देश के कोने-कोने से जुटी लाखों की संख्या में संगत ने डेरा प्रमुख तथा गुरु महाराज गुरिंद्र सिंह के दर्शन किए तथा उनके अमृत वचनों का रसपान किया । अपने आराध्य गुरु की एक झलक मात्र पाने तथा गुरु कार्य में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए संगत का उत्साह देखते ही बनता था जो पिछले लंबे समय से उस स्थल को संवारने में अपना पसीना बहा रहे थे जहां न केवल गुरु के चरण पडऩे वाले थे बल्कि उनके सेवक भी जिस रास्ते से गुजरने वाले थे।
हालांकि वार्षिक समागम के लिए दो दिन पहले से ही संगत का जुटना शुरू हो गया था लेकिन रविवार को निर्धारित बड़े सत्संग के लिए पूरी रात संगत की आवाजाही जारी रही । यही वजह थी कि रविवार को सत्संग हाल भरा नजर आया । उधर हर खास और आम के अतिरिक्त प्रदेश के राजनेताओं ने भी आश्रम का रुख किया तथा गुरु महाराज से व्यक्तिगत मुलाकात कर आशीर्वाद प्राप्त किया ।