अगर मनरेगा मजदूरों को श्रमिक कल्याण बोर्ड के दायरे से बाहर किया गया तो होगा आंदोलन- सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा

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सीटू से संबंधित हिमाचल प्रदेश मनरेगा एवम निर्माण मज़दूर यूनियन ने मनरेगा मज़दूरों को राज्य श्रमिक कल्याण की सदस्यता से बाहर करने के अघोषित फैसले के खिलाफ शिमला,रामपुर,रोहड़ू,सराहन,सोलन,कुल्लु,बंजार,आनी,धर्मपुर,बालीचौकी,नगरोटा बगवां,चंबा,हमीरपुर,ऊना आदि में प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किए। यूनियन ने चेताया है कि अगर मनरेगा मजदूरों को श्रमिक कल्याण बोर्ड के दायरे से बाहर किया गया तो आंदोलन होगा। शिमला में हुए प्रदर्शन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,बालक राम,हिमी देवी,दलीप सिंह,रंजीव कुठियाला,रामप्रकाश,अनिल,केदार,राकेश,भूप सिंह,पूर्ण चंद,अंजू,सरीना,सीमा,सीता राम,संजय,रोशनी,पुष्पा,सुरेंद्र आदि मौजूद रहे।

    

यूनियन प्रदेशाध्यक्ष जोगिंद्र कुमार व महासचिव भूपेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसार वर्ष 2013 में मनरेगा मज़दूरों को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्डों का सदस्य बनाने और बोर्ड से मिलने वाले सभी लाभ देने का निर्णय लिया गया था। इसके चलते हिमाचल प्रदेश में लगभग दो लाख मनरेगा मज़दूर श्रमिक कल्याण बोर्ड के सदस्य बने हैं।

    

इन्हें अब तक श्रमिक कल्याण बोर्ड से करोड़ों रुपए की सहायता राशि प्रदान हुई है लेकिन 20 सितंबर को मंडी में आयोजित की गई श्रमिक कल्याण बोर्ड की मीटिंग में मनरेगा मज़दूरों की बोर्ड से सदस्यता रद्द करने और सभी प्रकार के लाभ बन्द करने बारे चर्चा हई है। इसका बोर्ड में सीटू के प्रतिनिधि जोगिंद्र कुमार ने कड़ा विरोध किया जिसके चलते मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे हिमाचल प्रदेश के श्रम मंत्री ने इसे लागू न करने का आश्वाशन दिया। लेकिन उसके बावजूद भी बोर्ड के सचिव व मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने मनरेगा मज़दूरों को जारी होने वाले सभी आर्थिक लाभ रोक दिए हैं।

   

उन्होंने मांग की है कि मनरेगा मज़दूरों की पहले की भांति राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड में सदस्यता जारी रखी जाए और निर्धारित सभी आर्थिक लाभ जारी किए जायें। पिछले दो साल की लंबित सहायता राशि तुरंत मज़दूरों को जारी की जाये। राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से पूर्व में मिलने वाली सहायता सामग्री पुनः बहाल की जाये। मनरेगा मज़दूरों को अन्य दिहाड़ीदार मज़दूरों के बराबर 350 रु दिहाड़ी दी जाये। मनरेगा में 120 दिनों का रोज़गार सुनिश्चित किया जाए और दिनों की संख्या 200 दिन वार्षिक की जाए। असेसमेंट के नाम पर मज़दूरी में कटौती करने का नियम समाप्त किया जाए और आठ घंटे काम करने पर पूरी मज़दूरी दी जाये। मनरेगा के लिए बजट में बढ़ोतरी की जाए ताकि सभी मज़दूरों को 120 दिन का काम मिल सके।