हिमाचल में पेंशन, उपदान और कर्ज से 1,368 करोड़ बढ़ा राजस्व घाटा

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हिमाचल प्रदेश में पेंशन, उपदान और ऋण लेने के कारण राजस्व व्यय बढ़ रहा है। महालेखाकार कार्यालय ने राज्य सरकार को सभी अनुत्पादक व्ययों में कटौती का सुझाव दिया है। शनिवार को शीत सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विधानसभा सदन में वर्ष 2022-23 की महालेखा परीक्षक रिपोर्ट पेश की।

रिपोर्ट में सामान्य आर्थिक वातावरण और नीतिगत परिवर्तनों से विचलन संबंधी विवरण देते हुए बताया कि नवीनतम बजट प्राक्कलन के अनुसार राजस्व घाटा 6,072.94 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो कि बजट अनुमान से 1,368.81 करोड़ रुपये अधिक है। राजकोषीय घाटा 9,900.14 करोड़ के बजट अनुमान की तुलना में 12,515.73 करोड़ रहने का अनुमान है। इस प्रकार राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद की प्रतिशतता के रूप में 5.82 फीसदी रहने का अनुमान है।

जुलाई-अगस्त में बाढ़, भूस्खलन ने बुनियादी ढांचे को क्षतिग्रस्त किया है। इससे राजस्व भी प्रभावित हुआ है। ऐसे में राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ बुनियादी ढांचे को बहाल करने में समय लगेगा। रिपोर्ट के अनुसार राज्य वस्तु एवं सेवाकर तथा जल उपकर से प्राप्तियों में कमी के कारण राजस्व में 752.33 करोड़ रुपये की कमी संभावित है।

राजस्व व्यय के तहत पेंशन के व्यय में 621.22 करोड़ की बढ़ोतरी संभावित है जो पेंशन, सेवानिवृत्ति लाभ के सरकार के आदेशानुसार कुछ बकाया राशि की अदायगी के कारण है। अन्य राजस्व व्यय में 762.57 करोड़ की बढ़ोतरी उपदान और सहायता अनुदान आदि पर अधिक व्यय के कारण है।

इन पर भी हुआ पूंजीगत व्यय
भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन, विभिन्न सड़कों और पुलों, ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं, पुलिस स्टेशनों, मिनी सचिवालयों, संयुक्त कार्यालय भवनों, द्वारिका व दिल्ली में राज्य अतिथि गृह, हमीरपुर और चंबा में चिकित्सा महाविद्यालयों के निर्माण, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर राज्य हिस्से, पीडब्ल्यूडी के लिए नई मशीनरी की खरीद और चांगु व देओथल चांगु जल विद्युत परियोजनाओं पर भी अधिक पूंजीगत व्यय की बात रिपोर्ट में कही है।
ये दिए गए सुझाव
-सरकार द्वारा स्वीकृत ऋण का विकासात्मक कार्यों में उपयोग सुनिश्चित करना होगा।
-बाहरी वित्त पोषित परियोजनाओं के माध्यम से वित्तीय संसाधनों के लिए मदद लेनी होगी।
-विभिन्न विकासात्मक कार्यक्रमों और योजनाओं के वित्त पोषण के लिए भारत सरकार से उपलब्ध संसाधनों का लाभ उठाना होगा।
-राज्य की कर एवं गैर कर प्राप्तियों में बढ़ोतरी का प्रयास करना होगा।