संजौली मस्जिद मामले में जिला अदालत ने खारिज की स्थानीय लोगों की एप्लीकेशन

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संजौली मस्जिद मामले में नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत के फैसले को जिला अदालत में चुनौती देने वाली याचिका पर अब 18 नवंबर को सुनवाई होगी। जिला अदालत ने स्थानीय लोगों की उस एप्लीकेशन को खारिज कर दिया है, जिसमें मामले में पार्टी बनने की अपील की गई थी। मामले में अब अगली सुनवाई सोमवार को होगी, जिसमें जिला अदालत की ओर से मुस्लिम पक्ष की मुख्य याचिका को सुना जाएगा। मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत से बहस के लिए वक्त मांगा था जिस पर कोर्ट ने 18 नवम्बर की तारीख़ दी है।

मुस्लिम पक्ष ने नगर निगम आयुक्त की अदालत के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें आयुक्त ने मस्जिद के तीन फ्लोर को हटाने के आदेश जारी किए हैं। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने मस्जिद के तीन फ्लोर को हटाने की लिखित पेशकश की, जिसके लिए वह अधिकृत नहीं थे। मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विश्व भूषण ने बताया कि मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी।

वहीं, स्थानीय लोगों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता जगत पॉल ने कहा कि उन्होंने कोर्ट के सामने अपना पक्ष 25 पन्नों का आर्गुमेंट पेश कर रखा। मामले में उनके पार्टी बनने से कोई ज्यादा असर तो नहीं पड़ता, लेकिन उन्होंने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रख दिया है। मामला नगर निगम शिमला और वक्फ बोर्ड के बीच में चल रहा है। इस मामले में नगर निगम शिमला अथॉरिटी है, जबकि वक्फ बोर्ड उल्लंघनकर्ता है।

नगर निगम शिमला के तहत आने वाले इलाकों में जो भी निर्माण होता है, उसमें नगर निगम की अनुमति लेना जरूरी होती है। इस पूरे मामले में वक्फ बोर्ड ने निर्माण के लिए अनुमति नहीं ली। वक्फ बोर्ड झूठ कहता है पहले खुद मस्जिद के अवैध निर्माण को हटाने की परमिशन देता है, लेकिन बाद में उससे पीछे हट जाता है। उन्होंने कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है. अगर वक्फ बोर्ड खुद को कानून से ऊपर समझता है, तो वह उन्हें जेल की हवा जरूर खिलवाएंगे।