शीत सत्र में प्रश्नों की बौछार पर मंत्रियों की ढाल बने मुख्यमंत्री सुक्खू

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विधानसभा के शीत सत्र के दौरान प्रश्नों की बौछार होने पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू मंत्रियों की ढाल बने। भाजपा विधायकों के सवालों पर मंत्रियों के घिरने पर मुख्यमंत्री ने खुद मोर्चा संभाला। जयराम सरकार के समय हुई अनियमितताओं और लंबित कार्यों को उठाकर मुख्यमंत्री ने विपक्ष को घेरा। कांग्रेस सरकार के एक वर्ष के दौरान किए गए कार्यों की एक-एक कर जानकारी भी मुख्यमंत्री ने विपक्षी सदस्यों को दी। मुख्यमंत्री ने पूर्व सरकार के समय में लिए गए ऋण और केंद्र सरकार से ऋण लेने पर लगाई गई पाबंदियों को सदन में कई बार गिनाया।

जब भी प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक सरकार पर हावी होने लगे तो मुख्यमंत्री ने खुद खड़े होकर मोर्चा संभाल लिया। नेता विपक्ष जयराम ठाकुर पर कई व्यंग्य करते हुए मुख्यमंत्री ने पूर्व सरकार की कमियां गिनाने में कोई कसर नहीं रखी। कांग्रेस विधायकों के सवालों को भी तरीके से संभालते हुए मुख्यमंत्री ने उन्हें शांत रखा। दो दिन भाजपा ने प्रश्नकाल के दौरान वॉकआउट कर सरकार की नीतियों को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया। विपक्ष की गैरमौजूदगी में मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्हें अपने सरकार के समय में किए गए अधूरे और गलत कामों के बारे में सुनना नहीं था, इसलिए वॉकआउट किया।

मुख्यमंत्री ने विपक्ष के सदस्यों के व्यवहार की भी सदन में निंदा की। पूरे सत्र के दौरान मुख्यमंत्री का रुख हमलावर रहा। उन्होंने अपनी सरकार की योजनाओं और केंद्र सरकार की बंदिशों का भी प्रश्नकाल के दौरान अलग-अलग तरीके से प्रचार किया। आपदा राहत से जुड़े कार्यों से संबंधित पूछे गए अधिक सवालशीत सत्र के दौरान सत्ता और विपक्ष के अधिकांश विधायकों ने आपदा राहत से जुड़े कार्यों को लेकर सवाल उठाए। अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में किए जा रहे राहत कार्यों को सदन में उठाकर विधायकों ने कामकाज में और तेजी लाने की मांग की। इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, परिवहन और कानून व्यवस्था से जुड़े सवाल भी उठाए गए।

सीपीएस सुंदर, विधायक सुधीर शर्मा रहे गैर हाजिरशीतसत्र के दौरान मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर गैरहाजिर रहे। सुंदर सिंह ठाकुर इन दिनों विदेश दौरे पर हैं। उधर, पूर्व मंत्री और धर्मशाला से कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा की मौजूदगी भी सदन में कम ही नजर आई। सुधीर के अधिकांश समय सदन से गैरहाजिर रहने को उन्हें कैबिनेट मंत्री नहीं बनाए जाने की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है।