हिमाचल में माकपा ने कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है। इंडी-एलायंस में साझेदारी निभाते हुए लोकसभा सीटों पर माकपा अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी। माकपा के इस फैसले का सबसे बड़ा असर शिमला संसदीय क्षेत्र में देखने को मिलेगा। यहां माकपा का बड़ा वोट बैंक है। इसके अलावा मंडी माकपा का दूसरा घर भी है। माकपा के इस समर्थन का असर मंडी संसदीय सीट पर भी देखने को मिल सकता है। यहां से कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह भाजपा की कंगना रणौत के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। शिमला संसदीय सीट की बात करें, तो शिमला और ठियोग से माकपा के राकेश सिंघा विधायक रह चुके हैं, जबकि नगर निगम शिमला में मेयर और डिप्टी मेयर की सीट पर भी माकपा कब्जा जमा चुकी है। छात्र संघ चुनावों के दौर में लंबे समय तक विश्वविद्यालय में माकपा का दबदबा रहा है। अब माकपा के इस समर्थन से कांग्रेस को लाभ मिलने की संभावना है। बीते विधानसभा चुनाव में हालांकि माकपा का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा था, लेकिन प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर माकपा ने अपने प्रत्याशी उतारे थे। माकपा को पूरे प्रदेश में 27 हजार 111 वोट मिले थे।
इनमें से 17 हजार 862 वोट अकेले शिमला संसदीय क्षेत्र से आए थे। इनमें ठियोग से पूर्व विधायक राकेश सिंघा 12 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे, जबकि कुसुम्पटी में कुलदीप तंवर को 2671, शिमला शहरी में पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर को 1400, जबकि जुब्बल कोटखाई में विशाल शांकटा को 1256 वोट मिले थे। इसके अलावा आनी में माकपा के देवकी नंद को 3556, जोगिंद्रनगर में कुशाल भारद्वाज को 3137, कुल्लू में होतम सिंह को 1102, सराज में महेंद्र सिंह को 818, हमीरपुर में कश्मीर सिंह को 625 और पच्छाद में आशीष कुमार को 546 वोट मिले थे। अब कांग्रेस को समर्थन के बाद माकपा का वोट बैंक कांग्रेस की तरफ डायवर्ट होगा और इससे पार्टी को माकपा के परंपरागत वोटों का फायदा मिल सकता है। बहरहाल, हिमाचल में शिमला और मंडी सीटों पर माकपा का वोट शेयर नजदीकी मुकाबले में फैसले के लिए सबसे अहम साबित हो सकता है।
बीजेपी को हराएगा इंडिया-माकपा गठबंधन
माकपा के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि सीएम ने प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर तरीके से उपयोग करते हुए प्रदेश का रेवेन्यू बढ़ाया है। किसानों-बागबानों की समस्या का हल कर उन्हें घर-द्वार लाभ पहुंचाया है। इसे देखते हुए माकपा ने इंडी-गठबंधन के साथ हिमाचल में चुनाव लडऩे का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने 2014 और 2019 में सेब पर आयात शुल्क को सौ फीसदी करने का वादा किया था, लेकिन 2024 के आते-आते मोदी सरकार ने आयात शुल्क को 70 से घटाकर 50 तक किया।