डीएमआर के विशेषज्ञ डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि अभी तक यह मशरूम चीन और जापान में उगाई जा रही थी। पहले टर्की टेल मशरूम को उगाने के गेहूं के भूसे से बनी खाद का प्रयोग किया गया था।खुंब अनुसंधान निदेशालय ने स्तन, फेफड़े, प्रोस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर को रोकने में सहायक टर्की टेल मशरूम को लकड़ी के बुरादे में उगाने का सफल प्रशिक्षण कर लिया है। इस पर दो वर्ष तक शोध हुआ। इस विधि से मशरूम उत्पादन भी चार गुना अधिक हुआ है। इससे पहले विशेषज्ञ यह मशरूम गेहूं के भूसे पर ठगा रहे थे। इसके बाद अब लकड़ी के लकड़ी के बुरादे पर फसल उगाई। इसके चार फ्लैश आए हैं। यह एक औषधीय मशरूम है। इसमें एंटी बैक्टीरियल के साथ साथ एंटी ऑक्सीडेंट भी हैं। इसके सेवन से कैंसर रोगी को कीमोथैरेपी के कारण होने वाली कमजोरी से निजात मिलेगी। इससे रिकवर भी जल्द होगी। इस विधि से अधिक उत्पादन हुआ है। एक बैग से चार फ्लैश निकलने हैं। इसमें पहला फ्लैश 35 से 40 दिनों में आया है। औषधीय मशरूम होने से इसकी बाजार में अच्छी मांग है। यह मशरूम सूखाकर बेची जाती है। अब तक चीन और जापान में उगाई जाती थी मशरूम
डीएमआर के विशेषज्ञ डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि अभी तक यह मशरूम चीन और जापान में उगाई जा रही थी। पहले टर्की टेल मशरूम को उगाने के गेहूं के भूसे से बनी खाद का प्रयोग किया गया था। इसके बाद पिछले दो वर्षों से तूनी समेत कई अन्य मजबूत लकड़ी के बुरादे पर इसे तैयार करने का शोध किया जा रहा था।
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