राज्य बिजली बोर्ड में चार जनवरी को भी वेतन और पेंशन की अदायगी नहीं हुई। कर्मचारियों और अभियंताओं की संयुक्त संघर्ष समिति ने गुरुवार को भी भोजन अवकाश के दौरान प्रदेश के अधिकांश कार्यालयों के बाहर विरोध स्वरूप प्रदर्शन किया। बिजली बोर्ड की अफसरशाही इन दिनों दिल्ली में व्यस्त है। प्रधान सचिव ऊर्जा भरत खेड़ा और बोर्ड के प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के साथ दिल्ली गए हुए हैं। बोर्ड के इतिहास में पहली बार वेतन-पेंशन देने में इतनी अधिक देरी हुई।
मामले को लेकर चर्चा करने के लिए उच्च अधिकारी नहीं मिलने से भी कर्मचारी यूनियनें भड़क गई हैं। यूनियन पदाधिकारियों का कहना है कि अगर हमारी अनदेखी की गई तो प्रदेश में ब्लैक आउट की नौबत भी आ सकती है। इसके लिए बोर्ड प्रबंधन और सरकार जिम्मेवार होगी। राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन और इंजीनियरों की संयुक्त संघर्ष समिति ने वीरवार को भी पूरे प्रदेश में बोर्ड़ कार्यालयों के बाहर भोजन अवकाश के दौरान धरना प्रदर्शन कर बिजली बोर्ड में एक स्थायी प्रबंध निदेशक नियुक्त करने और पुरानी पेंशन को लागू करने की मांग को जोरशोर से उठाया।
बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस शिमला में प्रदर्शन में सैकड़ो बिजली कर्मचारियों और पेंशनरों ने प्रदर्शन किया। संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक इंजीनियर लोकेश ठाकुर और सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि पेंशन व वेतन न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसी स्थिति पिछले 52 वर्षों में कभी नहीं हुई। बिजली बोर्ड एक बहुत बड़ा विभाग है, इसे लंबे समय तक अस्थायी प्रबंध निदेशक से चलाना दुर्भाग्यपूर्ण है। आज प्रबंधक वर्ग की गैरजिम्मेदाराना कार्यप्रणाली से कर्मचारियों और पेंशनरों को दिसंबर का वेतन और पेंशन चौथे दिन भी नहीं मिल पाया है। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि जब तक बिजली कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन और पेंशन की अदायगी नहीं होगी, तब तक भोजन अवकाश के दौरान बिजली कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन जारी रहेंगे। यदि प्रदेश सरकार मांगों का निवारण समय रहते नहीं करेगी तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
बिजली बोर्ड ज्वाइंट फ्रंट के संघर्ष में बुजुर्ग पेंशनर भी कूदे
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