लोकसभा की जंग में कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र कांग्रेस विधायकों के लिए अग्निपरीक्षा का मैदान बन गया है। पार्टी ने उम्मीदवार भले ही कद्दावर केंद्रीय नेता आनंद शर्मा को बनाया है लेकिन, असली इम्तिहान विधायकों का ही है। पार्टी प्रत्याशी को जिताने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई है। हाईकमान और मुख्यमंत्री का इस बाबत साफ संदेश है और आनंद भी पार्टी विधायकों से जुट जाने का आह्वान कर चुके हैं। आनंद शर्मा केंद्र की राजनीति में कांग्रेस का कद्दावर चेहरा हैं। कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कामकाज और पार्टी से मिली अहम जिम्मेदारियों को वह संभाल चुके हैं। लेकिन प्रदेश की सियासत में उनका ज्यादा दखल नहीं रहा है और सक्रियता भी ज्यादातर शिमला क्षेत्र में ही रही है।इसलिए कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेसी विधायकों की चुनावी भूमिका निर्णायक होगी। इन विधायकों पर 2022 का प्रदर्शन दोहराने का बड़ा दबाव है। दअसल, कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र में सीटिंग एमएलए के संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस का वर्दहस्त है। यहां से कांगड़ा में कांग्रेस के नौ तो चंबा में दो विधायक हैं। भाजपा के कांगड़ा में तीन और चंबा में दो विधायक हैं। धर्मशाला से कांग्रेस के विधायक रहे सुधीर शर्मा अब भाजपाई हो गए हैं लेकिन, उपचुनाव होने के कारण फिलहाल, यह सीट खाली है। इसी गणित को समझते हुए आनंद शर्मा ने बतौर प्रत्याशी उनके नाम की घोषणा होने से पहले वन-टू-वन पार्टी के सभी विधायकों से दूरभाष पर संपर्क साधकर फीडबैक लिया था।
यह चुनाव मेरा नहीं, आपका
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