सुंदरनगर : मंडी जिला सहित करसोग उपमंडल में लंबे समय से चल रहे सूखे से किसानों के चेहरे लटक गए हैं। बारिश न होने से मटर सहित गेहूं की फसल मुरझा गई है। एक अनुमान के मुताबिक बिना सिंचाई वाले क्षेत्रों में 50 फीसदी फसल खेतों में ही बर्बाद हो चुकी है। आने वाले समय में भी अगर बारिश नहीं होती है तो किसानों को बीज खरीदने पर आई लागत को निकालना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में लगातर पड़ रहे सूखे की वजह से खेती पर संकट छा गया है।
उपमंडल में रबी सीजन में बड़े स्तर पर गेंहू और मटर की बिजाई की गई है। इसमें 500 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर गेहूं की बिजाई हुई है, जबकि सब्जी बाहुल क्षेत्रों में 75 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर मटर की बिजाई की गई है। रबी सीजन में उपमंडल के तहत आने वाले क्षेत्रों में मटर और गेहूं ली जाने वाली प्रमुख फसलें हैं। यहां अधिकतर किसानों की रोजी रोटी इन्ही दो प्रमुख फसलों पर निर्भर है।
किसानों ने 130 रुपए से 270 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मटर का बीज खरीदा है। इसके अतिरिक्त खेती पर की गई मेहनत और अन्य खर्च अलग से है। ऐसे में सूखे की भेंट चढ़ी फसलों के किसानों के सामने घर परिवार का गुजारा चलाने का भी संकट पैदा हो गया है। इसको देखते हुए किसानों ने फसलों को हुए नुकसान का आंकलन करने की मांग की है। किसान मुरारी लाल शर्मा का कहना है कि इस बार 33 किलो मटर की बिजाई की है।
बाजार से 270 रुपए किलो के हिसाब से मटर का बीज खरीदा है। इस तरह से बीज पर करीब 9 हजार रुपए हुआ है, लेकिन लंबे समय से बारिश न होने से 60 फीसदी मटर की फसल सूख कर बर्बाद हो चुकी है। प्यारे लाल वर्मा का कहना है कि मटर की फसल पूरी तरह से मुरझा गई थी। ऐसे में मटर को उखाड़ कर पशु के चारे के उपयोग में लाया गया है।
10 करोड़ का होता है मटर कारोबार….
करसोग में मटर प्रमुख फसल है। उपमंडल में अधिकतर किसान मटर की बिजाई करते हैं। ऐसे में क्षेत्र में औसतन 10 करोड़ तक का मटर कारोबार रहता है, लेकिन इस बार किसानों को बीज खरीदने और खेत तैयार करने में की गई मेहनत का पैसा पूरा करना भी मुश्किल हो गया है। यही हाल गेहूं की फसल का है। इसके अतिरिक्त क्षेत्र में लहसुन की फसल भी पीली पड़ गई है, जबकि किसानों ने बैंकों से कर्ज लेकर बीज खरीदा है। ऐसे में मौसम की मार पड़ने से किसानों को बैकों की किश्त लौटाने की भी चिंता सताने लगी है।
करसोग कृषि विकासखंड की विषय वार्ता विशेषज्ञ डॉ. मीना का कहना है कि लंबे समय बारिश न होने से मटर और गेहूं के उत्पादन पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि अभी नुकसान का आंकलन नहीं किया गया है।