अनाथ व निराश्रित बच्चों का भविष्य संवार रही ‘मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना’ : सीएम

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परिवार तथा माता-पिता हमें सुखदायी एवं सुरक्षित माहौल प्रदान करते हैं। बच्चे की परवरिश तथा शिक्षा से लेकर उनके भविष्य को उज्जवल बनाने में उनका उल्लेखनीय योगदान रहता है। प्रदेश में अनाथ बच्चों का भविष्य संवारने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना शुरू की गई है, जिसके अंतर्गत अब तक 4 हजार बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में अपनाया गया है। माता एवं पिता के रूप में उनकी देखभाल की सम्पूर्ण जिम्मेदारी निभाने का दायित्व सरकार ने संभाला है।

अनाथ एवं निराश्रित बच्चों को अपनत्व, सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी के लुथान में सुख-आश्रय ग्राम परिसर का शिलान्यास किया है। इस एकीकृत परिसर में विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ लगभग 400 निराश्रितों के रहने की क्षमता होगी। परिसर में ई-लाईब्रेरी, अस्पताल, वैलनेस सेंटर, प्रार्थना कक्ष, मंदिर, कॉमन रूम, बहुउद्देशीय डिपार्टमेंटल स्टोर, व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र व पार्क आदि सुविधाएं होंगी। इसके अलावा टेबल टेनिस, बैडमिंटन, योग, स्वीमिंग पूल, प्ले स्टेशन, जिम सहित अन्य इंडोर व आउटडोर खेलों से सम्बंधित स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध होंगी। परिसर में बच्चों, महिलाओं व वृद्धजनों के लिए अलग-अलग आश्रय स्थल निर्मित किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कार्यभार संभालने के उपरांत अपने पहले ही निर्णय में अनाथ बच्चों के कल्याण को प्राथमिकता दी है। इसे मूर्त रूप प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री सुख-आश्रय कोष गठित कर लोगों से उदारतापूर्वक दान की अपील की गई और अपेक्षित सहयोग भी प्राप्त हो रहा है। अनाथ बच्चों के खुशहाल जीवन के लिए 4 हजार रुपए प्रतिमाह जेब खर्च, वार्षिक भ्रमण के दौरान 3 सितारा होटल में ठहरने की सुविधा, शिक्षा के लिए आवश्यक निधि, उत्सव भत्ता तथा अन्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।

राज्य सरकार निराश्रितों के लिए प्रदेश भर में कई बाल संरक्षण संस्थानों का संचालन भी कर रही है। मुख्यमंत्री का कहना है कि बाल संरक्षण संस्थानों के उचित संचालन से प्रदेश सरकार सभी निराश्रित बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए आदर्श माहौल प्रदान कर उनकी शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक एवं भावनात्मक आवश्यकताओं को पूरा कर रही है। इन बाल संरक्षण संस्थानों में टच-टेक्नोलॉजी से लैस स्मार्ट बोर्ड, इंडोर व आउटडोर खेल सुविधाएं, संगीत कक्ष, मनोरंजन कक्ष, चिकित्सा कक्ष व अन्य विश्व स्तरीय सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।